चीन के कोरोना वायरस से भारत को डरने की कितनी ज़रूरत

चीन में फैले कोरोना वायरस (जिसे वुहान वायरस भी कहा जा रहा है) को लेकर अब भारत में भी सतर्कता बरती जाने लगी है.
देश की राजधानी दिल्ली समेत मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, कोच्चि और कोलकाता हवाईअड्डों पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है. चीन और हांगकांग से लौटे यात्रियों की थर्मल जांच की जाएगी. यात्रियों को विमान में चढ़ने से पहले सेल्फ़ रिपोर्टिंग फ़ॉर्म भरना होगा.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार देश के सात हवाई अड्डों पर सभी ज़रूरी व्यवस्थाएं की गई हैं. मंत्रालय का कहना है कि वे इन सभी हवाई अड्डों के संपर्क में हैं ताकि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन किया जा सके.इसके साथ ही इन सभी हवाई अड्डों पर उद्घोषणा में भी वायरस को लेकर सूचना दी जा रही है. ख़तरा इसलिए भी अधिक बढ़ गया है क्योंकि ये वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी जा सकता है.
चीन में इस वायरस की वजह से अभी तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है वहीं संक्रमित लोगों की संख्या भी बढ़कर 440 हो चुकी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस संदर्भ में आपात बैठक बुलाई है. इस बैठक में डब्ल्यूएचओ यह तय करेगा कि कोरोना वायरस से फैल रही बीमारी को क्या अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपात काल घोषित करने की ज़रूरत है या नहीं.
अमरीका में भी वायरस के संक्रमण का एक मामला सामने आया है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि यह शख़्स चीन के वुहान से अमरीका आया है.
यह नया कोरोना वायरस दिसंबर महीने में सबसे पहले पकड़ में आया था. लेकिन अब यह चीन की सीमा को पार करके दूसरे देशों में भी पहुंच चुका है.
ताज़ा मामलों की बात करें तो अमरीका के एक मामले से पहले थाईलैंड में दो और जापान में भी एक मामला सामने आ चुका है.

क्या है यह वायरस

मरीज़ों से लिए गए इस वायरस के सैंपल की जांच प्रयोगशाला में की गई है. इसके बाद चीन के अधिकारियों और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि यह एक कोरोना वायरस है.
कोरोना वायरस कई क़िस्म के होते हैं लेकिन इनमें से छह को ही लोगों को संक्रमित करने के लिए जाना जाता था. मगर नए वायरस का पता लगने के बाद यह संख्या बढ़कर सात हो जाएगी.
नए वायरस के जेनेटिक कोड के विश्लेषण से यह पता चलता है कि यह मानवों को संक्रमित करने की क्षमता रखने वाले अन्य कोरोना वायरस की तुलना में 'सार्स' के अधिक निकटवर्ती है.
सार्स नाम के कोरोना वायरस को काफ़ी ख़तरनाक माना जाता है. सार्स के कारण चीन में साल 2002 में 8,098 लोग संक्रमित हुए थे और उनमें से 774 लोगों की मौत हो गई थी

कोरोना वायरस के लक्षण

  • सिरदर्द
  • नाक बहना
  • खांसी
  • गले में ख़राश
  • बुखार
  • अस्वस्थता का अहसास होना
  • छींक आना, अस्थमा का बिगड़ना
  • थकान महसूस करना
  • निमोनिया, फेफड़ों में सूजन
चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन ने इससे पहले कहा था कि इस वायरस को अभी भी कंट्रोल किया जा सकता है.

कितना गंभीर है ये?

कोरोना वायरस के कारण अमूमन संक्रमित लोगों में सर्दी-जुक़ाम के लक्षण नज़र आते हैं लेकिन असर गंभीर हो तो मौत भी हो सकती है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिनबर्ग के प्रोफ़ेसर मार्क वूलहाउस का कहना है, "जब हमने ये नया कोरोना वायरस देखा तो हमने जानने की कोशिश की कि इसका असर इतना ख़तरनाक क्यों है. यह आम सर्दी जैसे लक्षण दिखाने वाला नहीं है, जो कि चिंता की बात है."

कहां से आया ये वायरस?

यह बिल्कुल नई क़िस्म का वायरस है.
ये एक जीवों की एक प्रजाति से दूसरे प्रजाति में जाते हैं और फिर इंसानों को संक्रमित कर लेते हैं. इस दौरान इनका बिल्कुल पता नहीं चलता.
नॉटिंगम यूनिवर्सिटी के एक वायरोलॉजिस्ट प्रोफ़ेसर जोनाथन बॉल के मुताबिक़, "यह बिल्कुल ही नई तरह का कोरोना वायरस है. बहुत हद तक संभव है कि पशुओं से ही इंसानों तक पहुंचा हो."
सार्स का वायरस बिल्ली जाति के एक जीव से इंसानों तक पहुंचा था. हालांकि चीन की ओर से अभी तक इस मूल स्रोत के बारे में कुछ भी पुष्ट तौर पर नहीं कहा गया है.

लेकिन चीन ही क्यों ?

प्रोफ़ेसर वूलहाउस का कहना है कि जनसंख्या के आंकड़ों और घनत्व के कारण यहां के लोग जानवरों के संपर्क में जल्दी आ जाते हैं.
वो कहते हैं "कोई हैरानी नहीं है कि चीन में ही आने वाले समय में कुछ ऐसा ही सुनना को मिले."

कितना आसान है इसका फैलना?

चीन के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे बहुत से मामले सामने आए हैं जिससे ये पुष्टि होती है कि यह वायरस एक शख़्स से दूसरे को भी होता है. अधिकारियों का कहना है कि ऐसा कहने के पीछे वजह ये है कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें मरीजों की देखभाल करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों में भी संक्रमण के लक्षण नज़र आ रहे हैं.
इस मौजूदा वायरस को लेकर यही सबसे बड़ा डर है कि इससे सबसे पहले फेफड़े ही प्रभावित हो रहे हैं. इस वायरस का संक्रमण होते ही संक्रमित शख़्स को खांसी और नज़ला की शिकायत हो जाती है.
हालांकि अभी जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वो ही अंतिम आंकड़े हों ऐसा नहीं कहा जा सकता.

कितनी तेज़ी से फैल रहा है ये वायरस?

शुरुआत में माना जा रहा था कि इस वायरस का असर सीमित ही होगा लेकिन दिसंबर के बाद से कई नए मामले सामने आ चुके हैं. हालांकि इस संक्रमण की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई लेकिन अब इसका संक्रमण चीन के बाकी शहरों के साथ-साथ देश के बाहर भी नज़र आ रहा है. थाईलैंड, जापान, अमरीका और दक्षिण कोरिया में भी संक्रमण के कुछ मामले सामने आए हैं. वुहान से होकर आने वाले लोगों में इसके संक्रमण की आशंका अधिक है.
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा ज़रूरी नहीं है कि सभी संक्रमित लोगों की पहचान हुई ही हो. ऐसा हो सकता है कि बहुत से ऐसे मामले हो सकते हैं जो छूट गए हों.
ऐसी आशंका जताई जा रही है कि यह वायरस नए साल चीन घूमने आए बहुत से लोगों के साथ अलग-अलग देशों में लाखों लोगों में पहुंच चुका हो.

चीन के अधिकारी इस मामले पर कैसे काम कर रहे हैं?

संक्रमित लोगों की एकल कक्ष में और अकेले में जांच की जा रही है ताकि इस बीमारी को और बढ़ने से रोका जा सके. जिन-जिन जगहों से यात्री गुजरेंगे उन-उन जगहों पर थर्मल स्कैनर्स लगाए गए हैं ताकि जैसे ही किसी के बुख़ार की पुष्टि हो उसकी जांच की जा सके.
इसके अलावा सी-फ़ूड मार्केट को फिलहाल के लिए बंद कर दिया गया है ताकि सफ़ाई बनी रहे और संक्रमण को कम किया जा सके.
यह व्यवस्था केवल चीन में ही नहीं की गई है. चीन के अलावा एशिया के कई दूसरे देशों और अमरीका में भी इस तरह की व्यवस्था की गई है ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके.

विशेषज्ञ कितने परेशान हैं?

डॉक्टर गोल्डिंग का कहना है "फिलहाल तो हमारे पास जो जानकारी है उसके लिहाज़ से सही-सही ये बता पाना की स्थिति कितनी चिंताजनक, मुश्किल है."
"जब तक हमें इसके स्रोत का एकदम सटीक पता नहीं चल जाता है, तब तक परेशानी बनी ही रहेगी."
प्रोफ़ेसर बॉल का कहना है कि हमें हर उस वायरस को लेकर चिंतित होने की ज़रूरत है जो इंसानों को संक्रमित कर रहा हो, वो भी ख़ासतौर पर पहली बार. क्योंकि उसका इलाज कैसे किया जाना है, रोकना है ये सबकुछ जानने में मुश्किल होती है.
"आप किसी भी विषाणु को मौक़ा तो नहीं ही देना चाहेंगे. "

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